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उदयशंकर का जीवन-परिचय ( 3 अगस्त, 1898-22 फरवरी, 1966 )

उदय शंकर भट्ट जी का साहित्य के जीवन-परिचय


 उदय शंकर भट्ट जी का साहित्य के जीवन-परिचय :-

    उदय शंकर भट्ट का जन्म 3 अगस्त, 1898 को उत्तर प्रदेश के इटावा नगर में हुआ था| इनके पूर्वज गुजरात से आकर इटावा में बसे थे| 14 वर्ष की अल्प अवस्था में ही इनके माता-पिता का देहांत हो गया| इटावा में ही इनकी ननिहाल भी थी| इनकी नाना का परिवार शिक्षा, भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में अपनी विशेष रूचि प्रदर्शन करता था| नाना के यहां बचपन में ही भट्ट जी को संस्कृत का ज्ञान हो गया था| भट्ट जी काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद 'पंजाब के शास्त्री' एवं कोलकाता से 'काव्य तीर्थ'  की उपाधि प्राप्त की| 

    सन् 1923 में यह जीविका की खोज में लाहौर चले गए और एक लंबे समय तक लाहौर में ही शिक्षक के रूप में कार्य करते रहें| इसके साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लेते रहें| देश के स्वतंत्र हो जाने पर जब भारत का विभाजन हो गया तो आप लाहौर से दिल्ली आ गए| यहां आकाशवाणी के निर्देशक भी रहे| आकाशवाणी से सेवा मुक्त होने पर स्वतंत्र रूप से कहानी, उपन्यास, आलोचना एवं नाटक लिखते रहें| 22 फरवरी, 1966 ईस्वी को भट्ट जी का निधन हो गया|


उदय शंकर भट्ट जी का रचनाएं :-

    उदय शंकर भट्ट जी ने कविता, उपन्यास नाटक एवं एकांकी लिखे हैं| नाटक एवं एकांकी के चित्र में आपको विशेष प्रसिद्धि मिली है| भट्ट जी के एकांकी रंगमंच एवं रेडियो दोनों दृष्टियों से सफल है|आपकी एकांकी संग्रह है- पर्दे के पीछे, समस्या का अंत, अंत्योदय, अभिनव एकांकी, आज का आदमी, आदिम युग, स्त्री का हृदय, चार एकांकी इनकी प्रमुख एकांकी रचनाएं हैं|    

   इन्होंने अपना साहित्यिक जीवन काव्य-रचना से आरंभ किया| इनकी कविताओं के कई संग्रह प्रकाशित हुए हैं| काबे के साथ-साथ इन्होंने एकांकी एवं बड़े नाटक भी लिखे हैं| सन् 1922 ईस्वी से इन्होंने नाटक की रचना प्रारंभ की और आजीवन नाट्य-सृजन में लगे रहे| इन्होंने कई प्रसिद्ध नाटकों एवं उपन्यासों की रचना की| इनके द्वारा लिखे गए, एकांकी अत्यंत लोकप्रिय हुए| नाटक एवं एकांकी के क्षेत्र में भट्ट जी को विशेष सफलता प्राप्त हुई| 

     इन्होंने एकांकी विधा को कई नई दिशा प्रदान की|रंगमंच एवं रेडियो-प्रसारण दोनों ही क्षेत्रों में इनके एकांकी सफल सिद्ध हुए| किसी भी समस्या को जीवंत रूप में प्रस्तुत कर देना भट्ट जी के एकांकीयों की प्रमुख विशेषता है| भट्टजी के एकांकी पौराणिक, हास्यप्रधान, समस्याप्रधान एवं सामाजिक विषयों पर आधारित है|


भट्टजी (उदयशंकर) का साहित्यिक योगदान :- भट्ट जी ने कविता, उपन्यास, नाटक एवं एकांकी लिखे हैं| विषय की दृष्टि से आपके एकांकी पौराणिक, ऐतिहासिक, सामाजिक, प्रतीकात्मक, समस्या प्रधान एवं हास्य-व्यंगपूर्ण सभी प्रकार के हैं| भट्ट जी ने रेडियो और रंगमंच दोनों के लिए नाट्य रचनाएं लिखी है| आपकी नाट्य शैली युग के अनुरूप नवीनता धारण किए हुए हैं| इसमें संदेह नहीं कि भट्टजी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे|

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