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स्वाधीनता की प्रमुख घटनाएं|

भारत एक विशाल देश है| प्राचीन काल में इसकी सीमाएं अत्यंत विस्तृत थी| विदेश संपन्न एवं प्रकृति के संपादकों से परिपूर्ण था| इस पर विश्व के अनेक लुटेरे देशों ने कुदृष्टि पड़ी और उन्होंने इसे छिन्न-भिन्न करने के अनेक प्रयास किए, इन्हींप्र को विफल करने के लिए अपने देश में अनेक सपूत समय-समय पर अपने देश की आज आज छोड़ता बनाए रखने के लिए संघर्ष करते रहे इसी से संबंधित कुछ घटनाक्रम निम्नलिखित है जिन्हें हमें जानना एवं समझना चाहिए|

सन 1905 (बंगभंग आंदोलन)

हिंदू, मुस्लिम, संप्रदायिकता को उभारकर ' बांटो एवं राज्य करो' की नीति अपनाकर लॉर्ड कर्जन ने 20 जुलाई  1905 को बंगाल का विभाजन कर दिया| जिसके विरोध में भारत के लोगों ने आंदोलन किया है जिसे बंग भंग आंदोलन के नाम से जाना जाता है विपिन चंद्र पाल के जन आंदोलन के प्रभाव से लॉर्ड कर्जन को बंग-भंग को वापस करना पड़ा|
 सन 1919 ( जालियांवाला बाग हत्याकांड):


डॉक्टर सतपाल व डॉक्टर सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में 13 अप्रैल 1919 को जालियांवाला बाग अमृतसर में एक भारी सभा हुई| जिस पर जनरल डायर ने बिना चेतावनी दिए अंधाधुंध गोलियां चलवाई, जिससे भारी संख्या में लोग मारे गए एवं घायल हुए| यह घटना जालियांवाला बाग कांड के नाम से प्रसिद्ध है|

 सन 1912 (असहयोग आंदोलन):


महात्मा गांधी ने सन 1920 में असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया था| आंदोलन में 5 फरवरी 1922 ईस्वी को चौरी-चौरा कांड हुआ| जिसमें वहां के लोगों द्वारा 22 पुलिस जनों की हत्या कर दी गई और पुलिस चौकी में आग लगा दी गई| इस घटना को देखते हुए महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया|

 सन 1928 ( साइमन कमीशन):
जेम्स फोर्ड सुधार को को लागू करने के लिए अंग्रेज अधिकारी साइमन कमीशन को स्थिति की जांच पड़ताल करने के लिए भेजा गया| साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाहौर में  शेरे पंजाब लाला लाजपत राय पर पुलिस कप्तान सेंड हर्स्ट
द्वारा लाठियां बरसाई गई और उनकी मृत्यु हो गई|

 सन 1929 (एसेंबली बम कांड):
लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए सरदार भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ असेंबली में बम फेंक कर अंग्रेजी सरकार को थर्रा दीया| 23 मार्च 1931 ईस्वी को लाहौर में भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु को चुपचाप फांसी दी गई|

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