श्रीराम शर्मा का जन्म कब हुआ,श्री राम शर्मा आचार्य के गुरु,पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के पद चिन्ह होशंगाबाद में किस स्थान पर है,ram sharma photos,पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के विचार,पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य अनमोल वचन,श्रीराम शर्मा किस युग के लेखक थे,
श्रीराम शर्मा का जन्म 23 मार्च, 1892 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के अंतर्गत किरथरा नामक गांव में हुआ था| इनके पिता का नाम पंडित रेवती राम शर्मा था| तभी पिता का देहांत हो गया| श्रीराम शर्मा बचपन से ही बड़े साहसी तथा आत्मविश्वास व्यक्ति थे|
शर्मा जी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा का श्री गणेश मक्खनपुर में हुआ| इसके पश्चात वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रविष्ट हुए तथा बी.ए. की परीक्षा पास की| शिक्षा समाप्त करने के पश्चात पत्रकारिता तथा लेखन कार्य की ओर प्रवृत्त हुए| ' विशाल भारत ' के संपादक नियुक्त हुए| स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लेकर मातृभूमि की स्वतंत्रता हेतुुुुुुु प्रशंसनीय भूमिका निभायी| कारावास की कठोर यातनाओं को सहन किया, परंतु जेल की सलाखें उन्हें महान उद्देश्य से कभी एक कदम भी डिगा ना सकीं|
श्रीराम शर्मा ने एक पत्रकार के रूप में अपना साहित्यिक जीवन प्रारंभ किया| यह लंबे समय तक सह-संपादक के रूप में ' विशाल भारत ' के संपादक रहे हैं| इसके अतिरिक्त इन्होंने गणेशशंकर विद्यार्थी के दैनिक पत्र ' प्रताप ' में भी 100 संपादक के रूप में कार्य किया| श्रीराम शर्मा एक यशस्वी पत्रकार थे| इनका लेखन राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत था| जिसने जनमानस को झकझोर दिया| श्रीराम शर्मा ने राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय रहकर अपना योगदान दिया तथा दीर्घकाल तक पत्रकरिता से संबंध रहे| लंबी बीमारी के पश्चात सन् 1967 ईस्वी में सरस्वती के इस वरदपुत्र का देहांत हो गया|
श्रीराम शर्मा की कृतियां :-
श्रीराम शर्मा ने संस्करण, शिकार साहित्य, रेखाचित्र, वनस्पति-विज्ञान, प्राणी-विज्ञान एवं पत्रों से संबंधित विपुल साहित्य सर्जना की है| उनकी बीस से अधिक रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं|
(i) शिकार साहित्य-' शिकार ', 'जंगल में जीव ', 'प्राणों का सौदा ', ' नैना सितमगर ' तथा ' बोलती प्रतिमा '|
(ii) संस्करण तथा रेखाचित्र- ' वे जीते कैसे हैं ' , ' संघर्ष तथा समीक्षाा ', ' सन् 42 के संस्करण ' , में राष्ट्रीय आंदोलन का यथार्थ्थ चित्रण है|
(iii) प्राणी विज्ञान तथा वनस्पति विज्ञान से संबंधित रचनाएँ- ' भारत में जंगली जीव ' , ' भारत के पक्षी ' तथा ' पपीहा '|
(iv) अनूदित साहित्य- जिम कार्बेट की पुस्तकों के हिंदी अनुवाद ; यथा- ' रुद्रप्रयाग का आदमखोर '|
पंडित श्रीराम शर्मा जी का भाषा :-
श्रीराम शर्मा ने सरल, सुबोध तथा व्यवहारिक खड़ी बोली का प्रयोग किया है| भाषा की बोधगम्यता के लिए इन्होंने उर्दू, अंग्रेजी एवं संस्कृत से प्रचलित शब्दों का प्रयोग किया है| मुहावरे एवं कहावतों के प्रयोग से भाषा में प्रभाव और रोचकता उत्पन्न हो जाती है|
पंडित श्रीराम शर्मा जी का शैली :-
शर्मा जी की शैली विचारोत्तेजक एवं प्रवाह पूर्ण है| इनकी रचनाओं में निम्नलिखित शैलियों का प्रयोग हुआ है---
(1) वर्णनात्मक शैली- घटनाओं के वर्णन में और शिकार साहित्य में इस शैली का प्रयोग हुआ है, इसमें कथातमकता, अलंकारिता कद्दू कौतूहल पाया जाता हैै|
(2) विवेचनात्मक शैली- शर्मा जी ने इस शैली का प्रयोग गंभीर विषयों के प्रतिपादन में किया है| इसमें भाषा अपेक्षाकृत गंभीर, संस्कृतनिष्ठ वाक्य लंबे होते हैं|
(3) चित्रात्मक शैली- शर्मा जी ने इस सहेली ने अपने बचपन की रोमांचक घटनाओं एवं बाल सुलभ चेष्टा ओं को सजीव रूप मे अंकित किया है|
(4) आत्मकथात्मक शैली- संस्करणात्मक रचनाओं में आत्मकथात्मक शैली का सुंदर प्रयोग हुआ है| इसमें भाषा सरल, सुबोध एवं व्यवहारिक खड़ी बोली है|
इसके तरीके इनकी रचनाओं में सूत्रात्मक एवं डायरी शैली के भी दर्शन होते हैं|
साहित्य में स्थान :-
शर्मा जी स्वतंत्रता संग्राम में समर्थ सेनानी थे| इन्होंने सवाल लेखनी से शिकार-साहित्य और संस्करण-विधा पर उत्तम कृतियां लिखकर हिंदी साहित्य की महान सेवा की है| एक सफल पत्रकार के रूप सदैव स्मरण किए जाएंगे| हिंदी साहित्य में इनका विशिष्ट स्थान है|
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